गिरफ्तारी के मामले में डी.के बासु के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देश



डी.के बासु के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देश
Guidelines given by Hon'ble Supreme Court in the case of D.K. Basu

पुलिस अगर आपको कर रही हो गिरफ्तार तो ये हैं आपके कानूनी अधिकार


  1. डी.के. बासू बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल (1997 (1) एससीसी 416) के मामले में माननीय, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी भी गिरफ्तारी के मामले में निम्नलिखित दिशा निर्देश का पालन करना अपेक्षित है।
  2. गिरफ्तारी का कार्य कर रहे पुलिस अधिकारी, गिरफ्तारी के समय, गिरफ्तारी का एक ज्ञापन पत्र तैयार करेगा और यह ज्ञापन-पत्र दो गवाहों द्वारा अनुप्रमाणित किया जाएगा जो गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार के सदस्य या जिस क्षेत्र से गिरफ्तारी की गई है उस क्षेत्र का कोई सम्मानित व्यक्ति हो सकता है। यह भी हिरासत द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाएगा तथा इस पर गिरफ्तारी का समय तथा तिथि दर्ज होगा।
  3. वह व्यक्ति जिसकी गिरफ्तारी की गई है या रोक कर रखा गया है तथा किसी पुलिस थाना या पूछताछ केन्द्र या अन्य हवालात में अभिरक्षा में रखा जा रहा है, एक दोस्त या रिश्तेदार या उनको जानने या उनका भलाई चाहने वाले व्यक्ति को जितनी जल्दी हो सके सूचित किए जाने का अधिकार प्राप्त होगा, कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और किसी विशेष स्थान पर रोक कर रखा गया है, जब तक कि गिरफ्तारी के ज्ञापन पत्र को अनुप्रमाणित करने वाला गवाह स्वयं, गिरफ्तार व्यक्ति का ऐसा दोस्त या रिश्तेदार नहीं होता।
  4. पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का समय, स्थान, गिरफ्तार व्यक्ति की अभिरक्षा का स्थान अवश्य ही अधिसूचित किया जाएगा। जहां गिरफ्तार व्यक्ति का अन्य दोस्त या रिश्तेदार जिला या शहर से बाहर रहता है जिला में कानूनी सहायता संगठनों तथा संबंधित क्षेत्र के पुलिस थानों के माध्यम से गिरफ्तारी के 8 से 12 घंटे के भीतर टेलीग्राम के माध्यम से अधिसूचित किया जाएगा।
  5. गिरफ्तार व्यक्ति को, अपनी गिरफ्तारी या हवालात की सूचना, अपने किसी मित्र को गिरफ्तारी या हवालात में रखे जाने के तुरंत बाद से सूचित किए जाने के अधिकार से अवश्य ही अवगत कराया जाएगा।
  6. हवालात के स्थान पर व्यक्ति के गिरफ्तारी के संबंध में खुलासा करते हुए उस व्यक्ति के अन्य मित्र जिसे गिरफ्तारी की सूचना दी गई थी तथा पुलिस अधिकारी का नाम तथा स्थान का विवरण जिनकी अभिरक्षा में गिरफ्तार व्यक्ति को रखा गया है, डायरी में दर्ज किया जाएगा।
  7. यदि गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर में कोई छोटा या बड़ा जख्म विद्यमान रहता है, उनके निवेदन पर गिरफ्तारी के समय उसकी जांच की जाएगी तथा इसे रिकॉर्ड किया जाएगा। गिरफ्तार व्यक्ति तथा गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी दोनों के द्वारा निरीक्षण ज्ञापन में हस्ताक्षर किया जाएगा और इसकी प्रति गिरफ्तार व्यक्ति को मुहैया कराई जाएगी।
  8. गिरफ्तार व्यक्ति को हवालात में रखने के दौरान प्रत्येक 48 घंटे में अनुमोदित डॉक्टरों की सूची से एक डॉक्टर द्वारा या निदेशक, स्वास्थ्य सेवा द्वारा संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के लिए नियुक्त डॉक्टर द्वारा चिकित्सा जांच किया जाएगा। निदेशक स्वास्थ्य सेवा, सभी तहसीलों और जिलों के लिए ऐसी एक सूची तैयार करेगा।
  9. उपरोक्त के संदर्भ में, गिरफ्तारी को ज्ञापन सहित सभी दस्तावेजों की प्रतियां मजिस्ट्रेट को रिकॉर्ड हेतु भेजा जाना होगा।
  10. गिरफ्तार व्यक्ति को, पूछताछ के दौरान अपने वकील से मिलने की अनुमति दी जाएगी, तथापि संपूर्ण पूछताछ के दौरान नहीं।
  11. सभी जिला और राज्य मुख्यालयों में एक पुलिस नियंत्रण कक्ष उपलब्ध कराया जाएगा जहाँ गिरफ्तारी तथा गिरफ्तार व्यक्ति की अभिरक्षा के स्थान के संबंध में गिरफ्तार करने वाले अधिकारी द्वारा, गिरफ्तारी के 12 घंटों के भीतर सूचना प्रदान किया जाएगा तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष में सुप्रकट सूचना पट्ट में प्रदर्शित किया जाएगा।
गिरफ्तारी के संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी.) द्वारा जारी दिशा निर्देश
Guidelines issued by National Human Rights Commission (NHRC) regarding arrest

दिशा निर्देश की आवश्यकता
गिरफ्तारी का अर्थ गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करना है अतएव, यह मानव के स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन करता है। तथापि भारतीय संविधान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने हेतु अपनी प्राथमिक भूमिका के एक हिस्से के रूप में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने हेतु राज्य की शक्तियों को मान्यता प्रदान करता है। संविधान में, विधि द्वारा स्थापित न्यायसंगत निष्पक्ष तथा तर्क संगत पद्धति अपेक्षित है जिसके तहत ही स्वतंत्रता का वचन अनुज्ञेय है। यद्यपि संविधान के अनुच्छेद 22(1) में उपबंधित है कि गिरफ्तारी के अधीन प्रत्येक व्यक्ति को जितनी शीघ्र हो सके गिरफ्तारी के कारण की सूचना दी जाएगी तथा उन्हें अपने पसंद के वकील से परामर्श करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा तथा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सी.आर.पी.सी.) की धारा 50 में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी से अपेक्षित है कि ‘‘अपराध का पूर्ण विवरण जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया है या ऐसे गिरफ्तारी की किसी अन्य वजह की सूचना तुरंत देगा’’। वास्तव में इन अपेक्षाओं का पालन नहीं किया जाता। इसी तरह, गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय में शीघ्र पेश करना संविधान (अनुच्देद 22(2) तथा सी.आर.पी.सी. (धारा 57) दोनों में अनिवार्य है, का भी सख्ती से पालन नहीं किया जाता।
मानव अधिकार का उल्लंघन तथा पुलिस की शक्तियों के दुरुपयोग के संबंध में कई शिकायतें पाई गई है। इसलिए यह आवश्यक बन पड़ा है, विधि और व्यवहार्यता के मध्य दूरी को कम करने के लिए गिरफ्तारी के संबंध में दिशा निर्देश निर्धारित की जाए इसके साथ ही साथ कानून तथा व्यवस्था को बनाए रखने तथा लागू करने और उचित अन्वेषण को मद्देनजर रखते हुए पुलिस की शक्तियों पर अनावश्यक रूप से पाबंदी नहीं लगाई जा सकती।

गिरफ्तारी पूर्व
बिना वारंट के गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग, किसी शिकायत की सच्चाई और महत्व तथा दोनों ही व्यक्तियों की अपराधिता के संबंध में उचित विश्वास और साथ ही साथ गिरफ्तार करने की जरूरत के अनुसार, कुछ जांच के उपरांत तर्कसंगत निर्णय पर पहुँचने के बाद किया जा सकता है। (जोगिन्दर कुमार का मामला- (1994) 4 एस.सी.सी. 260)
संज्ञेय अपराध के मामले में केवल शक्ति होने के आधार पर कानून के हिसाब से बिना वारंट के गिरफ्तार करना न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।
जोगिन्दर कुमार के मामले के बाद सर्वोच्च न्यायालय की प्रश्न संख्या 54 में घोषणा की कि क्या गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग उचित रूप से किया गया या नहीं, स्पष्ट रूप से न्यायोचित है।
निम्नलिखित में से किसी एक या अन्य परिस्थितियों में संज्ञेय मामले में गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराया जा सकता है:- 
  1. ऐसे मामलों में हत्या, डकैती, लूटमार, बलात्कार जैसे गंभीर अपराध शामिल है, इन मामलों में संदेह प्रद व्यक्ति को भाग जाने से रोकने तथा कानूनी प्रक्रिया से बच न पाने के लिए गिरफ्तारी आवष्यक है।
  2. हिंसात्मक आचरण पर संदेह किया जाता है जो और भी अपराध कर सकता है।
  3. संदिग्ध व्यक्ति को साक्ष्यों को नष्ट करने से या गवाहों के साथ छेड़-छाड़ करने से या अब तक गिरफ्तार न किए गए अन्य संदिग्धों को चेतावनी देने से रोकने के लिए आवश्यक है।
  4. यदि संदिग्ध व्यक्ति एक अभ्यस्त अपराधी है जो सामान्य प्रकार के या अन्य अपराध कर सकता है। (राष्ट्रीय पुलिस आयोग के तृतीय रिपोर्ट)
  5. उपर्युक्त जघन्य अपराधों के अलावा यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को पुलिस थाना में उपस्थित होने तथा बिना अनुमति पुलिस थाना न छोड़ने की सूचना जारी करता है गिरफ्तारी न की जाए। (जोगिन्दर कुमार का मामला (1994) एस.एस.सी. 260)
  6. जिन अपराधों पर जमानत दिया जा सकता है, गिरफ्तारी नहीं किया जाएगा जब तक कि संदिग्ध व्यक्ति के फरार होने की पूर्ण आशंका न हो।
  7. गिरफ्तार या पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारी की स्पष्ट पहचान तथा पदनाम सहित नाम का टैग दिखाना होगा। गिरफ्तार या पूछताछ करने वाले पुलिसकर्मी का विवरण उसी समय पुलिस थाना में रखी रजिस्टर में रिकॉर्ड करना होगा।
गिरफ्तार
  1. नियमानुसार, गिरफ्तार करते समय जोर जबरदस्ती नहीं की जाएगी। तथापि गिरफ्तार होने से बलपूर्वक प्रतिरोध के मामले में कम से कम बल प्रयोग किया जा सकता है तथापि गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति के शरीर पर दिखने अथवा न दिखने वाले जख्म न लगे, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
  2. गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति की गरिमा का रक्षा की जाएगी। गिरफ्तार व्यक्ति की परेडिंग या लोक प्रदर्शन की किसी भी परिस्थिति में अनुमति नहीं होगी।
  3. व्यक्ति की गरिमा को सम्मान देते हुए जोर-जबरदस्ती तथा आक्रामकता के बिना व्यक्ति की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करते हुए, तलाशी ली जाएगी। महिलाओं की तलाशी केवल महिलाओं द्वारा ही शालीनता के साथ की जाएगी। (एस .51(2) सी.आर.पी.सी.) 55
  4. हथकड़ी और बेड़ी का कदापि प्रयोग नहीं किया जाएगा इसे सर्वोच्च न्यायालय के प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली प्रशासन (1980) 3 एस.सी.सी. 526) और लोकतंत्र के नागरिक बनाम असम राज्य (1995) 3 एस.सी.सी. 743 के निर्णय में विधि के अनुसार बार बार व्याख्या की गई है और अनिवार्य कर दिया गया है
  5. जहाँ तक व्यवहारिक हो सके महिला पुलिस अधिकारी को संबद्ध किया जाएगा जहां पर गिरफ्तार किए जाने वाला व्यक्ति महिला है। सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी
  6. जहाँ पर बच्चों या किशोर की गिरफ्तारी की जानी है, किसी भी परिस्थिति में बल प्रयोग या पिटाई नहीं की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए पुलिस अधिकारी सम्मानित नागरिकों को सम्मिलित करेंगे, ताकि बच्चे या किशोर आतंकित न हो और कम से कम बल प्रयोग किया जाए।
  7. जहाँ बिना वारंट के गिरफ्तारी की जाती है, गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तारी का कारण उस भाषा में सूचित किया जाएगा जिसे वह समझता/समझती है। पुनः पुलिस इस उद्देश्य के लिए यदि आवश्यक हुआ सम्मानित नागरिकों की सहायता ले सकती है। गिरफ्तारी का कारण पुलिस रिकॉर्ड में पहले से लिखित रूप में रिकॉर्ड कर देना होगा। गिरफ्तार व्यक्ति को लिखित कारण दिखाया जाएगा, साथ ही साथ मांग करने पर एक प्रति भी दी जाएगी। (5.50(1) सी.आर.पी.सी.)
  8. गिरफ्तार व्यक्ति, उनके द्वारा की गई निवेदन पर एक मित्र, संबंधी या उसको जानने वाले किसी अन्य व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी की सच्चाई और हिरासत के स्थान की सूचना देने की मांग कर सकता है। पुलिस, जिस व्यक्ति को यह सूचना दी गई है। एक रजिस्टर में रिकॉर्ड करेगा। (जोगिन्दर कुमार का मामला- (1994) 4 एस.सी.सी. 260)
  9. यदि किसी व्यक्ति को जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है, पुलिस अधिकारी उन्हें जमानत पर छोड़े जाने के उनके हकदारी के विषय में सूचित करेगा ताकि वह जमानत की व्यवस्था कर सकें। (एस 50(2) सी.आर.पी.सी.)
  10. गिरफ्तार व्यक्ति को उक्त अधिकारों की सूचना देने के अलावा, पुलिस उन्हें, अपने पसंद के वकील से परामर्श कर बचाव के अधिकार की सूचना भी देगा। उसे इस बात की सूचना भी दी जाएगी कि वह राज्य की खर्च पर मुफ्त कानूनी सलाह का हकदार है। (डी.के.बसु का मामला 1997 (1) एस सी सी 416)
  11. जब गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस थाना लाया जाता है, उसे शीघ्र चिकित्सा सहायता दिया जाएगा, यदि वह इस संबंध में निवेदन करता है। उसे इस अधिकार की सूचना शीघ्र दी जाएगी। जहां पुलिस अधिकारी यह पाता है कि गिरफ्तार व्यक्ति को चिकित्सा मदद की आवश्यकता है किन्तु उसकी स्थिति ऐसी कि वह निवेदन करने में असमर्थ है, वह ऐसे मदद की शीघ्र व्यवस्था करेगा। जिसे उसी समय रजिस्टर में रिकॉर्ड किया जाएगा। महिला द्वारा चिकित्सा सहायता के निवेदन पर पंजीकृत महिला चिकित्सक द्वारा ही जांच की जाएगी (एस.53 सी.आर.पी.सी..)
  12. गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी द्वारा गिरफ्तार और हिरासत के स्थान की सूचना अविलंब पुलिस, नियंत्रण कक्ष तथा जिला/राज्य मुख्यालय को दी जाएगी। एक निगरानी प्रणाली दिन-रात कार्य करेगी।
  13. जैसे ही व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति के शरीर पर विद्यमान चोट के होने या न होने का विवरण गिरफ्तारी रजिस्टर में दर्ज करेगा। यदि गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर में कोई चोट पाया जाता है, वह चोट कैसे लगा है, इसका पूर्ण विवरण तथा अन्य ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा जिस पर गिरफ्तार व्यक्ति और पुलिस अधिकारी दोनों हस्ताक्षर करेंगे। गिरफ्तार व्यक्ति के छूटने के समय उक्त के संबंध में गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
  14. यदि गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के आदेश के आधीन पुलिस हिरासत में रखा जाता है, उनके हिरासत के दौरान प्रत्येक 48 घंटे में संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के स्वास्थ्य निदेशक द्वारा अनुमोदित चिकित्सकों के पैनल से नियुक्त किसी प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी द्वारा चिकित्सा जाँच कराया जाएगा। पुलिस हिरासत से छूटते समय गिरफ्तार व्यक्ति का चिकित्सा जाँच करवाया जाएगा तथा उन्हें एक प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिसमें उसके शरीर पर किसी चोट के विद्यमान होने या न होने का उल्लेख होगा।
गिरफ्तारी के बाद
  1. गिरफ्तार व्यक्ति को उनके गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर उचित न्यायालय में पेश किया जाएगा।(धारा 56 तथा 57 द.प्र.सं.)
  2. गिरफ्तार व्यक्ति को पूछताछ के दौरान किसी भी समय अपने वकील से मिलने की अनुमति होगी।
  3. पूछताछ स्पष्ट पहचान वाले स्थान पर की जाएगी, जिसे इस प्रयोजन हेतु अधिसूचित किया गया है। यह स्थान पहुंच योग्य होनी चाहिए तथा पूछ-ताछ किए जा रहे स्थान की सूचना गिरफ्तार व्यक्ति के मित्रों या परिजनों को अवश्य दी जाएगी।
  4. पूछताछ की विधि अवश्य ही जीवन, गरिमा तथा स्वतंत्रता के अधिकार और उत्पीड़न एवं अपमानजनक व्यवहार के विरुद्ध अधिकार के अनुकूल होनी चाहिए।
दिशा निर्देश को लागू करना
  1. दिशा निर्देशे का जितनी भाषा में संभव हो सकेगा अनुवाद किया जाएगा तथा प्रत्येक पुलिस थाना को आबंटित किया जाएगा। इसे पुस्तिका में भी शामिल किया जाएगा जिसे प्रत्येक पुलिस कर्मी को दिया जाएगा।
  2. दिशा निर्देश को प्रिंट मीडिया या अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अधिकतम प्रचार किया जाएगा। इसे प्रत्येक पुलिस थाना में एक से अधिक भाषा में सूचना पट्ट में मुख्य स्थान पर प्रदर्शित किया जाएगा।
  3. पुलिस एक शिकायत निवारण प्रणाली अवश्य स्थापित करेगी, जो दिशा निर्देशे के उल्लंघन के शिकायतें का शीघ्र अन्वेषण करेगी तथा सुधारात्मक कार्रवाई करेगी।
  4. जिस सूचना पट्ट मे दिशा निर्देश प्रदर्शित होगा उसी पर शिकायत निवारण प्रणाली की स्थिति तथा उस निकाय तक पहुंचने का रास्ता भी प्रदर्शित होगा।
  5. इन दिशा निर्देश को अधिक से अधिक प्रचार को सुनिश्चित करने हेतु न्यायालयों सहित गैर सरकारी संगठनों, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों को भी अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।
  6. शिकायत निवारण प्रणाली के कार्य कलाप पारदर्शी होंगे तथा इसके रिपोर्ट सुलभ होंगे।
  7. दिशा निर्देश का उल्लंघन करने पर तुरंत दोषी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई न केवल विभागीय जाँच तक ही सीमित होगी बल्कि आपराधिक न्याय तंत्र को भी भेजा जाएगा।


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उच्‍चतर शिक्षा आयोग प्रयागराज के असिस्टेंट प्रोफेसर बी.एड. पद पर नियुक्ति का रास्ता साफ



Higher Education Commission Prayagraj Assistant Professor B.Ed. Clear the way for the appointment

नीतू गौतम एवं अन्‍य तथा उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्‍य याचिका में याचिकाकर्ता ने रिट याचिका के माध्यम से निदेशक, उच्च शिक्षा द्वारा जारी विज्ञापन संख्या 50 दिनांक 25.02.2021 के क्रमांक 12 को चुनौती दी थी जिसमें विकलांग व्यक्तियों की विकलांगता के कारण नियुक्ति में उनके लिए प्राथमिकता का कोई प्रावधान नहीं था।
Higher Education Commission Prayagraj Assistant Professor


याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया कि वह शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के अंतर्गत आता है और ग्रेजुएट/ पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए पूरी तरह से पात्र है और वह असिस्टेंट प्रोफेसर बी.एड. पद के लिए आवेदन किया है।

याचिकाकर्ता के अनुसार विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के चैप्टर IV सेक्शन 20 क्लॉज 5 के अनुसार, शारीरिक रूप से विकलांग उम्मीदवारों के लिए एक प्रावधान है कि उपयुक्त सरकार शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के लिए कर्मचारियों की पोस्टिंग और स्थानांतरण के लिए नीति तैयार कर सकती है और याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि उपरोक्त अधिनियम के अध्याय II धारा 3 उपखंड (2) के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए अधिकार भी प्रदान करते हैं। जिसका पालन आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन संख्या 50 में नही किया गया है। जिससे क्षुब्‍ध होकर याचिकाकर्ताओं ने यह रिट योजित किया था।

दिनांक 27.4.2022 को इस रिट याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पूर्व में रिजल्‍ट घोषित करने पर लगाई गई रोक समाप्त करते हुए उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को रिजल्ट घोषित करने तथा निदेशक, उच्च शिक्षा को उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को अगली सुनवाई तिथि तक नियुक्ति न देने का आदेश दिया।

दिनांक 25.5.2022 को पुन: उक्‍त रिट याचिका सुनवाई हेतु प्रस्‍तुत हुई जिसमें याचिकाकर्ता की अधिवक्‍ता श्री आरती राजे ने न्यायालय को अवगत कराया कि कि रिट याचिका निष्फल हो गई है और उच्‍च न्‍यायालय ने उक्त रिट याचिका को निष्फल (infructuous) हो जाने के पश्चात खारिज कर दिया। मामले में अधिवक्ता प्रमेन्द्र प्रताप सिंह ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का पक्ष रखा। उच्‍च न्‍यायालय के इस निर्णय से असिस्टेंट प्रोफेसर बी.एड. पद पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।


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स्वप्नदोष अथवा नाइट फॉल जिससे सबसे अधिक परेशान हैं भारतीय पुरुष



स्वप्नदोष / नाइट फॉल क्यों होता है?
परिचय : बिना संतुष्टि के संभोग करते हुए अगर वीर्य स्खलन हो जाये तो उसे शीघ्र पतन कहा जाता है।


अपने नाम के विपरीत स्वप्नदोष कोई दोष न होकर एक स्वाभाविक दैहिक क्रिया है जिसके अंतर्गत एक पुरुष को नींद के दौरान वीर्यपात (स्खलन) हो जाता है। यह महिने में अगर 1 या 2 बार ही हो तो सामान्य बात कही जा सकती है।और यह कहा जा सकता है कि कोई रोग नहीं है किन्तु यदि यह इससे ज्यादा बार होता है तो वीर्य की या शुक्र की हानि होती है और व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है। क्योंकि यह शुक्र भी रक्त कणों से पैदा होता है। अतः अत्यधिक शुक्र क्षय व्यक्ति को कमजोर कर देता हैं। स्वप्नदोष, किशोरावस्था और शुरुआती वयस्क वर्षों में के दौरान होने वाली एक सामान्य घटना है, लेकिन यह उत्सर्जन यौवन के बाद किसी भी समय हो सकता है। आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक पुरुष स्वप्नदोष को अनुभव करे, जहां अधिकांश पुरुष इसे अनुभव करते हैं वहीं कुछ पूर्ण रूप से स्वस्थ और सामान्य पुरुष भी इसका अनुभव नहीं करते। स्वप्नदोष के दौरान पुरुषों को कामोद्दीपक सपने आ सकते हैं और यह स्तंभन के बिना भी हो सकता है। अधिकतर पुरुषों को सुबह उठने के बाद अपने अंडरवियर या पैजामे में गीला और चिपचिपा पदार्थ देखने को मिलता है जो कि मूत्र नहीं होता। यह मूत्र से गाढ़ा होता है। पहली बार इसे देखकर आप आश्चर्यचकित हो जाते हैं, क्योंकि कभी-कभी इसके कारण बिस्तर भी गीला हो जाता है जिस कारण आप शर्मिंदगी भी महसूस करते हैं। वास्तव में ऐसा कामुक सपने देखने के कारण होता है इसीलिए इसे स्वप्नदोष कहा जाता है। स्वप्नदोष अधिकतर रात में आते हैं, इसी कारण इन्हें नाईट फॉल (Nightfall) भी कहते हैं। यह सोते समय ही होता है। स्वप्नदोष एक आम घटना है जो पुरुषों के जीवनकाल में कई बार होती है।

सोते समय लिंग से वीर्य मुक्त होने की क्रिया को स्वप्नदोष कहते हैं। इसमें लिंग से वीर्य मुक्त होता है। सामान्य रूप से यह सेक्स के सपने देखने के कारण होता है। हालांकि जागने के बाद कई बार वे सपने याद नहीं रहते हैं। स्वप्नदोष के दौरान आप अपने लिंग का स्पर्श तक नहीं करते जिस कारण उत्तेजना का अनुभव हो और यह हस्तमैथुन (Masturbation) से बहुत भिन्न है। यह सारी करामात आपके मस्तिष्क की होती है और क्योंकि आप सपने में होते हैं इसलिए इस दौरान यह पहचानना थोड़ा कठिन होता है कि आप सेक्स की वास्तविक स्थिति में हैं या काल्पनिक। स्वप्नदोष अकस्मात् होने वाले उत्सर्जन होते हैं क्योंकि इनपर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है। कभी-कभी यह लंबे समय से संभोग न करने के फलस्वरूप भी होता है। सामान्यतः यह उन नौजवानों में अधिक देखने को मिलता है जो अभी यौन संबंधों में संलग्न नहीं हुए हैं। पुरुषों में स्वप्नदोष किशोरावस्था की शुरुआत के बाद जीवन पर्यन्त होता है।

स्वप्नदोष के स्पष्ट कारण अभी तक अज्ञात हैं। अध्ययनों के अनुसार, जब पुरुष किशोरावस्था में आते हैं उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) का उत्पादन होने लगता है। आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के बनने का मतलब है कि अब शरीर स्पर्म मुक्त कर सकता है। जिसका अर्थ यह है कि आप बच्चे पैदा करने के योग्य हो गए हैं। अगर आप किसी महिला से असुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करेंगे तो वो गर्भवती हो सकती है। यौवन के दौरान, जब आपके शरीर में वीर्य बन जाता है तब उसके मुक्त होने का स्वप्नदोष ही एकमात्र ज़रिया होता है।


स्वप्नदोष / नाइट फॉल के नुकसान
ऐसा कहा जाता है कि स्वप्नदोष / नाइट फॉल के कारण पुरुषों की आंख के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं। इसके अधिक होने से कमजोरी, तनाव आदि की समस्या बनने लगती है। खासकर, शादी के बाद के जीवन के बारे में सोचकर पुरुष परेशान होने लगते हैं। क्योंकि उनको लगता है कि इससे उनकी सेक्स लाइफ बोरिंग हो सकती है। इतना ही नहीं डॉक्टर बताते हैं कि स्वप्नदोष अधिक होने के कारण शीघ्रपतन, नंपुसकता जैसी समस्या जन्म ले सकती है। इसलिए अगर यह ज्यादा हो रहा है तो इसका इलाज तुरंत करा लेना चाहिए।

स्वप्नदोष से कैसे बचें?
अगर आप हेल्दी सेक्स लाइफ जीना चाहते हैं तो आपको अपनी लाइफस्टाइल बदलनी होगी। तब जाकर आप स्वप्नदोष या किसी अन्य प्रकार की सेक्स संबंधित बीमारी / समस्या से बच सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित बातों को फॉलो करें- 1. हर दिन कसरत करने की आदत डालें, 2. हेल्दी फूड्स खाएं, 3. सोने से पहले इंटीमेट करने वाली चीजों को न देखें और न बात करें, 4. कभी भी नाइट ड्रेस लूज ही पहने, 5. रात्रि पोशाक को साफ रखें, 6. पोर्न की लत न लगाएं और 7. रात में अश्लील कहानियां न पढ़ें

स्वप्नदोष का इलाज
स्वप्नदोष कोई चिंताजनक विषय नहीं है। लेकिन इन्हें रोकने या नियंत्रित करने का कोई चिकित्सीय इलाज भी नहीं है। अगर एक बार हस्तमैथुन या यौन संबंध स्थापित करके आप अपना स्पर्म निकाल चुके हैं तो आपमें स्वप्नदोष की प्रक्रिया कम हो जाती है। अगर आपको पिछली रात स्वप्नदोष हुआ है तो सुबह उठकर खुद को अच्छी तरह से साफ़ कर लीजिये। सफाई का सबसे बेहतर तरीका है कि आप नहा लीजिये नहीं तो अपने लिंग और वृषण (Testes) को अच्छी तरह से साबुन की सहायता से साफ़ कर लीजिये। अगर आपको स्वप्नदोष के बारे में शर्मिंदगी या असहजता महसूस होती है या आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो डॉक्टर, अभिभावक, परामर्शदाता, या किसी अन्य वयस्क जिससे आप खुलकर बात कर सकें उससे इस बारे में पूरी जानकारी लें। इसके अलावा जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि स्वप्नदोष का कोई चिकित्सीय इलाज नहीं है, लेकिन आप इसे कुछ बेहतरीन घरेलू उपायों से रोक सकते हैं। नीचे बताये गये बस उन उपायों को रोज दोहराइए और स्वप्नदोष की समस्या से छुटकारा पाइए।

कारण : अश्लील वातावरण में रहना, मस्तिष्क की कमजोरी और हर समय सहवास की कल्पना में खोये रहना यह शीघ्रपतन का कारण बनती है। ज्यादा गर्म मिर्च मसालों व अम्ल रसों से खाद्य पदार्थों का सेवन करने, शराब पीने, चाय-कॉफी का ज्यादा पीना और अश्लील फिल्म देखने वाले, अश्लील पुस्तकें पढ़ने वाले शीघ्रपतन से पीड़ित रहते हैं।

लक्षण: वीर्य का पतलापन, सहवास के समय स्तंभन (सहवास) शक्ति का अभाव अथवा शीघ्रपतन हो जाना वीर्य का जल्दी निकल जाना।

विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार
  • अजवाइन: खुरासानी अजवायन के साथ लगभग आधे ग्राम कपूर की गोली मिलाकर रात को सोने से पहले खाने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
  • अमरबेल : अमरबेल का रस मिश्री मिलाकर पीने से स्वप्नदोष में फायदा होता है।
  • असगंध : असगंध, विदारीकंद 25-25 ग्राम कूटकर छान लें और 50 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी से सेवन करने से स्वप्नदोष में आराम मिलता है।
  • असगंध नागौरी : असगंध नागौरी का चूर्ण 1 चम्मच और 3 काली मिर्च के चूर्ण को मिलाकर रोज रात को सोते समय खाने से शीघ्रपतन और वीर्य सम्बन्धी सारे रोग दूर होते हैं।
  • असरोल : असरोल, धनियां 10-10 ग्राम पीसकर 1 ग्राम सोते समय रात को पानी के साथ सेवन करें।
  • आंवला: आंवले का चूर्ण 6 ग्राम और मिश्री का चूर्ण 6 ग्राम मिलाकर रोज खाने से कुछ हफ्ते में स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • उड़द : अंकुरित उड़द की दाल में मिश्री या शक्कर को डालकर कम से कम 58 ग्राम की मात्रा में रोज खाने से शीघ्रपतन दूर होता है। उड़द के बेसन को घी में हल्का भूनकर रख लें। लगभग 50 ग्राम रोज मिश्री मिले दूध को उबालकर रोज रात में सेवन करने से वीर्य और नपुंसकता (नामर्दी) से सम्बन्धी रोग दूर हो जाते हैं।
  • कतीरा गोंद : कतीरा गोंद 1 से 2 चम्मच चूर्ण रात में सोते समय पानी में भिगो दें। सवेरे मिश्री या शक्कर को मिलाकर शरबत की तरह रोज घोंटकर खाने से वीर्य की मात्रा, गढ़ा पन और स्तम्भन शक्ति की वृद्धि होती है।
  • कपूर: लगभग एक ग्राम के चौथे भाग कपूर की गोली खुरासानी अजवायन के साथ सोने से पहले रोज रात में खाने से स्वप्नदोष में जरूर लाभ होगा। लगभग एक ग्राम का चौथा भाग कपूर और एक चम्मच चीनी दोनों पीसकर रोज सोते हुए फंकी लेने से स्वप्नदोष होना बन्द हो जाता है।
  • काले तिल : काले तिल 50 ग्राम अजवायन 25 ग्राम पीसकर इसमें 75 ग्राम खांड को मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
  • कुलिंजन : लगभग डेढ़ ग्राम कुलिंजन का चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर पी लें इससे शीघ्रपतन नहीं होता है।
  • केला : रोज 2 केले काटकर थोड़ा सा शहद मिलाकर खाने से स्वप्नदोष में लाभ मिलता है। 2 केले खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पिएं यह 3 महीने तक करते रहने से शीघ्रपतन में लाभ होगा।
  • कौंच : 1. कौंच के बीजों की गिरी का चूर्ण और खसखस के बीजों का चूर्ण 4 या 6 ग्राम लेकर चूर्ण को फांट या घोल के रूप में सेवन करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है। 2. कौंच के बीज का चूर्ण, तालमखाना और मिश्री, तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम चूर्ण खाकर, ऊपर से 'दूध' पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है। 3. कौंच की जड़ लगभग 1 अंगुल लम्बी मुंह में दबाकर सहवास करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।
  • खादिर ( कत्था) : खादिर ( कत्था) सार 1 ग्राम, ठंड़े पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • गिलोय : 1. गिलोय का चूर्ण और वंशलोचन को बराबर मिला-पीसकर 2 ग्राम के रूप में खाने से शीघ्रपतन नहीं होता है। 2. गिलोय, गोक्षुर और आंवला तीनों को बराबर मात्रा में कूट पीसकर 1 चम्मच चूर्ण को खाकर पानी को पीने से स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • गुलकंद :  गुलकंद 5-10 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ खाने से लाभ मिलता है।
  • गुलाब : गुलाब के फूल और छोटी दूधी का चूर्ण बराबर मिश्री मिलाकर पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष के दोष को खत्म करता है। गुलाब के 4-5 फूल तोड़कर उन्हें साफ पानी से धोयें और पंखुड़ियां अलग करके उनमें उतनी ही मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम खाकर और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक कर सकते हैं। गुलाब का शर्बत पीने से भी स्वप्नदोष पर लाभ मिलता है।
  • गोक्षुर : गोक्षुर, आंवला और हरड़ का चूर्ण मिश्री के साथ खाने से स्वप्नदोष का रोग दूर होता है।
  • चोपचीनी : चोपचीनी का पिसा हुआ चूर्ण 10 ग्राम, मिश्री 10 ग्राम और घी 10 ग्राम मिलाकर 7 दिनों तक खाने से स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • छोटी माई : छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।
  • जामुन : 4 जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष ठीक हो जाता है। जामुन की गुठलियों का चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण रोज सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष की बीमारी दूर होती है।
  • तुलसी : तुलसी के बीज को सुबह-शाम पानी से लाभ होता है। ध्यान रहें कि रात को गरम दूध न पीयें। तुलसी की जड़ का काढ़ा 4-5 चम्मच की मात्रा में सोने से पहले नियमित रूप से कुछ हफ्ते तक पीना चाहिए। इससे स्वप्नदोष से छुटकारा मिल जाता है।
  • त्रिफला : त्रिफले का चूर्ण और शहद दोनों को मिलाकर खाने से स्वप्नदोष में बहुत लाभ होता है। त्रिफला का चूर्ण 4-6 ग्राम की मात्रा में रात को सोने से पहले दूध के साथ खाने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है। त्रिफला 12 ग्राम, गुड़ 24 ग्राम, वच और भीमसेनी कर्पूर 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर सबको पानी के साथ मिलाकर छोटी-छोटी एक समान गोली बना लें, 1 से 2 गोलियों को सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष व शीघ्रपतन दूर हो जायेगा।
  • धनिया : 1. 2 ग्राम धनिये को पीसकर उसमें 3 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर कुछ दिनों तक पानी के साथ पीने से स्वप्नदोष का रोग खत्म होता है। 2. सूखे धनिये तथा मिश्री को बराबर मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें और किसी ढक्कनदार बर्तन में भरकर रख दें। इस चूर्ण में से 5-6 ग्राम के लगभग, ताजा जल के साथ सुबह-शाम कुछ दिनों तक लेने से अनैच्छिक वीर्यपात, स्वप्नदोष आदि विकारों से मुक्ति मिल जाती है। 3. सूखा धनिया कूट, पीसकर छान लें। इसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई चीनी मिला लें। सुबह खाली पेट बासी पानी से 1 चम्मच की फंकी लें और 1 घंटे तक कुछ न खायें, पीयें। 4. इसी तरह 1-1 खुराक शाम को 5 बजे सुबह के पानी के साथ लें। अगर कब्ज हो तो रात को सोने के समय 2 चम्मच ईसबगोल की भूसी गरम दूध से लें। इससे स्वप्नदोष की बीमारी दूर हो जाती है। 5. धनिया, नीलोफर, कुर्फा के बीज, काहू के बीज, कासनी के बीज और शीतलचीनी 20-20 ग्राम, अलसी के दाने 100 ग्राम और ईसबगोल 25 ग्राम की मात्रा में सबको कूट कर छान लें। फिर इस चूर्ण से 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर बराबर भाग में मिश्री को मिलाकर पानी के साथ सुबह-शाम लें।
  • नकछिकनी : नकछिकनी, सौंठ, बायबिण्डग 10-10 ग्राम कूट छानकर उसमें 30 ग्राम खांड़ को मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा को खुराक के रूप में सुबह खाली पेट कच्चे दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
  • पिंड खजूर : पिंड खजूर के 5 फल रोज खाएं और ऊपर से मिश्री मिला दूध कम से कम 250 मिलीलीटर रोज पियें तो इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
  • पीपलामूल: पीपलामूल 30 ग्राम और गुड़ 40 ग्राम को मिलाकर 1-1 ग्राम की गोली बनाकर सेवन करने से स्वप्नदोष नहीं होता है और नींद अच्छी आती है। पीपल पीपल के पेड़ का फल, जड़, छाल और कोंपल को पीसकर दूध में अच्छी तरह उबालकर गर्म-गर्म शहद और चीनी मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
  • प्याज : 10 मिलीलीटर सफेद प्याज का रस, 8 मिलीलीटर अदरक का रस, शहद 5 ग्राम और घी 3 ग्राम मिलाकर रात को सोने से पहले पिलाने से स्वप्नदोष नहीं होता है।
  • फिटकरी : फिटकरी की 50 ग्राम चिकनी-सी डली रात में सोने से पहले पेड़ यानी नाभि पर रख लें इससे रात में स्वप्नदोष नहीं होगा।
  • बड़ी गोखरू : बड़ी गोखरू की फांट या घोल को सुबह-शाम प्रयोग करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। बड़ी गोखरू के फल का 25 ग्राम चूर्ण 250 मिलीलीटर उबलते पानी में डालकर छोड़ दें। 1 घंटे बाद छान लें। इसमें से थोड़ा-सा बार-बार पिलाने से स्वप्नदोष दूर होता है। शक्कर और घी बड़ी गोखरू के साथ खाएं और ऊपर से दूध पी लें इससे भी स्वप्नदोष में लाभ होता है।
  • बबूल : बबूल की गोंद 10 ग्राम मात्रा में रात को 100 मिलीलीटर पानी में डालकर रख दें। सुबह उठने पर गोंद को थोड़ा-सा मसल कर पानी में छानकर मिश्री मिलाकर पीने से स्वप्नदोष में बहुत लाभ होता है। बबूल की फली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम चीनी में मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
  • बरगद : 1. बरगद के दूध की 20 से 30 बूंदे बतासे या चीनी पर डालकर रोज सवेरे खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर होती है। 2. 3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोपलें, 3 ग्राम गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री सिल पर पीसकर लुगदी बना लें, इसे खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पिएं, इसे 40 दिन तक खाने से लाभ मिलता है। 3. बरगद के कच्चे फलों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लेने से स्वप्नदोष और शीघ्रपतन मिट जाता है। 4. सूर्योदय से पहले बरगद के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन (वीर्य का जल्दी निकल जाना), बलवीर्य वृद्धि के लिए, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह (वीर्य दोष) और खूनी बवासीर आदि सभी रोग ठीक हो जाता है।
  • बहुफली : बहुफली 50 ग्राम पीसकर 5 ग्राम सुबह पानी से प्रयोग करें।
  • बादाम : बादाम के एक बीज की गिरी, 3 ग्राम मिश्री, 3 ग्राम घी और 3 ग्राम गिलोय का चूर्ण इन सबको 6 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर 7 दिनों तक दिन मे सुबह-शाम खाने से स्वप्नदोष खत्म होता है। बादाम और काली मिर्च की फीकी शरबत पीने से भी स्वप्नदोष में लाभ होता है।
  • ब्रह्मदण्डी : ब्रह्मदण्डी, बहुफली 50-50 ग्राम कूट छानकर इसमें 100 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह पानी के साथ सेवन करें। ब्रह्मदण्डी, बहुफली, बीजबन्द, पलंग तोड 50-50 ग्राम कूट छान कर इस में 100 ग्राम खांड़ मिलाकर 10-10 ग्राम को दिन में सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन के रोगी को लाभ होगा।
  • मुलेठी : मुलेठी के चूर्ण को मक्खन और शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ होता है। मुलहठी के चूर्ण में 2 ग्राम की मात्रा में शहद और घी मिलाकर खाने से स्वप्नदोष की बीमारी खत्म हो जाती है।
  • मूसली सिम्बल : मूसली सिम्बल 60 ग्राम कूटी छनी में खांड 60 ग्राम मिलाकर 6-6 ग्राम पानी या दूध से सुबह-शाम लें।
  • लहसुन : रात को सोने से पहले हाथ, पैर और मुंह को धोकर पोंछ लें फिर लहसुन की 1 कली मुंह में चबा-चबाकर खाने से स्वप्नदोष के रोग में लाभ मिलता है।
  • लाजवंती : लाजवंती के बीज 75 ग्राम पीस कर इसमें 75 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम को सुबह-शाम खांड मिले कम गर्म दूध के साथ लें।
  • वंशलोचन : वंशलोचन, सत गिलोय 10-10 ग्राम पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन में आराम मिलता है।
  • विदारीकन्द : विदारीकंद, गोखरू देसी 50-50 ग्राम कूट छानकर 5-5 ग्राम खांड को मिलाकर दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करें।
  • शकरकन्द : सूखी शकरकंद को कूट छानकर चूर्ण तैयार करें, फिर उसे घी और चीनी की चाशनी में डालकर हलवा तैयार करके इस हलवे को खाने से वीर्य गाढ़ा होता है।
  • शतावर : 1. शतावर, मूसली, विदारीकंद, असगंध, गोखरू या इलायची के बीज इनमें से 2-3 वनीशधि को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर पीसकर रख लें, और मिश्री को मिलाकर 3 ग्राम पानी के साथ पीने से लाभ होता है। 2. शतावरी, असगंध, विधारा 20-20 ग्राम कूटकर छानकर रख लें, इसमें 60 ग्राम खांड मिलाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में दिन सुबह-शाम दूध के साथ लें। शतावरी के रस को शहद में मिलाकर पीने सुबह-शाम से स्वप्नदोष दूर होता है।
  • समुद्रशोष : 3 से 6 ग्राम समुद्रशोष के बीजों को पानी में भिगों कर उससे बने लुआवदार घोल में मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से वीर्य का स्तम्भन होता है।
  • सिरस : सिरस के फूलों का रस 10 मिलीलीटर या 20 मिलीलीटर सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ लेने से वीर्य स्तंभन होता है।
  • हरड़ : हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद 10 ग्राम में लेकर में मिलाकर रोज खाएं इससे कुछ दिनों में स्वप्नदोष का रोग खत्म हो जाता है। हरड़ का मुरब्बा खाकर हल्का गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
स्वप्नदोष की होम्योपैथी दवाएं और उनके कार्य करने का तरीका
  • लाइकोपोडियम 200 – कामुक सपनों के साथ स्वप्नदोष के लिए प्रभावी। यह रात में गिरने से होने वाली कमजोरी और दुर्बलता का भी इलाज करता है। 
  • कैंथरिस 200 – दर्दनाक इरेक्शन और यौन इच्छा के साथ रात में होने वाली स्वप्नदोष के लिए। 
  • लाइकोपोडियम क्यू – ईडी और शीघ्र पतन के लिए शीर्ष दवाओं में से एक है। अत्यधिक भोग यानी अत्यधिक हस्तमैथुन के साथ युवा पुरुषों में स्तंभन शक्ति की हानि या कमजोर इरेक्शन का इलाज करता है।
  • वियोला ट्राई कोलूर क्यू – अनैच्छिक वीर्य उत्सर्जन के साथ रात को गिरने के लिए एक बहुत प्रभावी होम्योपैथिक दवा है। मुख्य रूप से अश्लील सामग्री देखकर रोगी को ज्वलंत और कामुक सपने आते हैं। व्यक्ति नींद में खलल की शिकायत करता है और रात में बार-बार जागता है। 
नोट - किसी भी प्रयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले यह मात्र जानकारी से लिये है। 

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गौ भक्त संत माधवदास



संत माधवदास का जन्म वि० सं० 1601 में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को सूरत के सौदागरगंज में हुआ था। इनके पिता का नाम करवत सिंह और माता का नाम हिरल देवी था। इनके पूर्वज मेवाड़ के केलवाड़ा नामक परगना के निवासी थे और प्रसिद्ध सिसोदिया वंश के सूर्यवंशी क्षत्रिय थे।
Gau Mata

बाल्यावस्था में माधवदास जी की मुखाकृति देखकर एक अवधूत महात्मा ने उनके पिता से कहा था कि यह बालक कोई महान् दिव्यात्मा होगा। ये बचपन से ही बड़ी उदार वृत्ति के थे और दरवाजे पर आये भिक्षुक को निराश नहीं जाने देते थे। जब ये मात्र पाँच वर्ष के ही थे, तभी इनके पिता का देहांत हो गया था। अतः इनका पालन-पोषण इनकी माता ने ही हुआ। माता ने इन्हें अच्छा विद्याभ्यास तो कराया ही, एक राजपूत वीर के लायक शस्त्रास्त्र की योग्यता भी इन्हें बचपन में ही प्राप्त हो गयी थी ।
एक बार ये भ्रमण करते हुए अहमदाबाद के पास पहुँचे। वहाँ इन्होंने देखा कि कुछ मुसलमान ग्वालों से उनकी गायें छीनकर ले जा रहे हैं। ईद का त्यौहार था और हाकिम की आज्ञा थी, इसलिए कोई कुछ बोल भी नहीं सकता था। पचास मुसलमान सैनिकों की एक टुकड़ी गायों को घेर कर लेकर चल दी, मुसलमानी शासन में ग्वाले भला रोने के अतिरिक्त और कर ही क्या सकते थे? गाय रंभा रही थीं, चाबुक की मार खा रही थीं, उनकी आँखों से आँसुओं की धारा बह रही थी। यह सब माधवदास जी से देखा न गया। उनका राजपूती रक्त उबल पड़ा। वे तलवार लेकर उन पर टूट पड़े। एक तरफ अकेले माधवदास और दूसरी ओर पचास सैनिक! पर सिंह सिंह होता है, मांसलोभी सैकड़ों सियारों का झुंड उस की एक दहाड़ और भाग खड़ा होता है।
माधवदास में सत्साहस था, गौमाता के प्रति प्रेम था, उधर सैनिकों में था सत्ता का अभिमान। माधवदास ने उन यवन सिपाहियों को गाजर-मूली की तरह काटना प्रारम्भ किया। सिपाहियों की जान पर बन आयी। कुछ तो मारे गये और कुछ भाग गये। सिसोदिया वंश के उस वीर ने सब गायें छुड़ा ली और रोते हुए ग्वालों के सुपुर्द कर दी।
माता की प्रेरणा से माधवदास जी ने सद्गुरु की शरण ली। वे समर्थदास नामक एक योगी के शिष्य हो गये। संत माधव दास जी सच्चे संत थे, उनका अधिकांश समय तीर्थाटन में ही बीतता था। गौमाता के प्रति उनकी अद्भुत भक्ति थी। उन्होंने दिल्ली के शाही कसाई खाने के जल्लाद हाशम को अपने उपदेश से भगवान की भक्ति में लगा दिया। मुलतान के मुस्लिम सूबेदार ने उन्हें तरह तरह से प्रताड़नाएं देने की कोशिश की, परंतु माधवदास जी सिद्ध संत थे, वह उनका बाल भी बाँका न कर सका और अंत में उनके चरणों में गिरकर क्षमा याचना की और भविष्य में किसी को न सताने की कसम खाई।
वि० सं० 1652 में आप इस नश्वर शरीर को त्याग कर अविनाशी परब्रह्म प्रभु के स्वरूप में अवस्थित हो गये। धन्य हैं ऐसे संत रत्न और गौ भक्त माधवदास जी और धन्य है भारत-धरा ऐसे सपूत को प्राप्त करके।


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प्रेरक प्रसंग - सच्ची कृपा



एक निर्धन ब्राह्मण के मन में धन पाने की तीव्र कामना हुई। वह सकाम यज्ञ की विधि जानता था, किंतु धन ही नहीं तो यज्ञ कैसे हो? वह धन की प्राप्ति के लिये देवताओं की पूजा और व्रत करने लगा। कुछ समय एक देवता की पूजा करता, परंतु उससे कुछ लाभ नहीं दिखायी पड़ता तो दूसरे देवता की पूजा करने लगता और पहले को छोड़ देता। इस प्रकार उसे बहुत दिन बीत गये। अंत में उसने सोचा-'जिस देवता की आराधना मनुष्य ने कभी न की हो, मैं अब उसी की उपासना करूँगा। वह देवता अवश्य मुझपर शीघ्र प्रसन्न होगा।'


ब्राह्मण यह सोच ही रहा था कि उसे आकाश में कुण्डधार नामक मेघ के देवता का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ। ब्राह्मण ने समझ लिया कि 'मनुष्य ने कभी इनकी पूजा न की होगी। ये बृहदाकार मेघ देवता देव लोक के समीप रहते हैं, अवश्य ये मुझे धन देंगे।' बस, बड़ी श्रद्धा-भक्ति से ब्राह्मण ने उस कुंड धार मेघ की पूजा प्रारम्भ कर दी।

ब्राह्मण की पूजा से प्रसन्न होकर कुण्डधारने देवताओं की स्तुति की, क्योंकि वह स्वयं तो जल के अतिरिक्त किसी को कुछ दे नहीं सकता था। देवताओं की प्रेरणा से यक्ष श्रेष्ठ मणिभद्र उसके पास आकर बोले-'कुंड धार! तुम क्या चाहते हो?'

कुण्डधार - 'यक्षराज! देवता यदि मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे उपासक इस ब्राह्मण को वे सुखी करें।'

मणिभद्र-'तुम्हारा भक्त यह ब्राह्मण यदि धन चाहता हो तो इसकी इच्छा पूर्ण कर दो। यह जितना धन माँगेगा, वह मैं इसे दे दूंगा।'

कुण्डधार - 'यक्षराज! मैं इस ब्राह्मण के लिये धन की प्रार्थना नहीं करता। मैं चाहता हूँ कि देवताओं की कृपा से यह धर्मपरायण हो जाए। इसकी बुद्धि धर्म में लगे।'

मणिभद्र-'अच्छी बात ! अब ब्राह्मण की बुद्धि धर्म में ही स्थित रहेगी।' उसी समय ब्राह्मण ने स्वप्न में देखा कि उसके चारों ओर कफन पड़ा हुआ है। यह देखकर उसके । हृदय में वैराग्य उत्पन्न हुआ।वह सोचने लगा - 'मैंने इतने । देवताओं की और अंत में कुण्डधार मेघ की भी धन के लिये आराधना की, किंतु इनमें कोई उदार नहीं दिखता। इस प्रकार धन की आस में ही लगे हुए जीवन व्यतीत करने से । क्या लाभ! अब मुझे परलोक की चिंता करनी चाहिये।'

ब्राह्मण वहां से वन में चला गया। उसने अब तपस्या करना प्रारम्भ किया। दीर्घकाल तक कठोर तपस्या करने के कारण उसे अद्भुत सिद्धि प्राप्त हुई। वह स्वयं आश्चर्य करने लगा-'कहाँ तो मैं धन के लिये देवताओं की पूजा करता था और उसका कोई परिणाम नहीं होता था और कहाँ अब मैं स्वयं ऐसा हो गया कि किसी को धनी होने का आशीर्वाद दे दूँ तो वह नि:संदेह धनी हो जाएगा!'

ब्राह्मण का उत्साह बढ़ गया। तपस्या में ही उसकी श्रद्धा बढ़ गयी। वह तत्परतापूर्वक तपस्या में ही लगा रहा। एक दिन उसके पास वही कुण्डधार मेघ आया। उसने कहा ब्रह्मन् ! तपस्या के प्रभाव से आपको दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गयी है। अब आप धनी पुरुषों तथा राजाओं की गति देख सकते हैं।' ब्राह्मण ने देखा कि धन के कारण गर्व से आकर लोग नाना प्रकार के पाप करते हैं और घोर नरक में गिरते हैं।

कुण्डधार बोला-'भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करके आप यदि धन पाते और अंत में नरक की यातना भोगते तो मुझसे आपको क्या लाभ होता? जीव का लाभ तो कामनाओं का त्याग करके धर्माचरण करने में ही है। उन पर सच्ची कृपा तो उन्हें धर्म में लगाना ही है। उन्हें धर्म में लगाने वाला ही उनका सच्चा हितैषी है।'

ब्राह्मण ने मेघ के प्रति कृतज्ञता प्रकट की और कामनाओं का त्याग करके अंत में मुक्त हो गया।

(महाभारत के शान्तिपर्व से)


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प्रदोष व्रत की महिमा



विदर्भ-देश में सत्यरथ नाम के एक परम शिवभक्त, पराक्रमी और तेजस्वी राजा थे। उन्होंने अनेक वर्षां तक राज्य किया, परंतु कभी एक दिन भी शिव पूजा में किसी प्रकार का अंतर न आने दिया।
प्रदोष व्रत की महिमा

एक बार शाल्व देश के राजा ने दूसरे कई राजाओं को साथ लेकर विदर्भ पर आक्रमण कर दिया। सात दिन तक घोर युद्ध होता रहा, अंत में दुर्दैव वश सत्यरथ को पराजित होना पड़ा, इससे दुखी होकर वे देश छोड़कर कहीं निकल गये। शत्रु नगर में घुस पड़े। रानी को जब यह ज्ञात हुआ तो वह भी राजमहल से निकलकर सघन वन में प्रविष्ट हो गयी। उस समय उसके नौ मास गर्भ था और वह आसन्नप्रसवा ही थी। अचानक एक दिन अरण्य में ही उसे एक पुत्र रत्न उत्पन्न हुआ। बच्चे को वहाँ ही अकेला छोड़कर वह प्यास के मारे पानी के लिये वन में एक सरोवरके पास गयी और वहाँ एक मगर उसे निगल गया।

उसी समय उमा नाम का एक ब्राह्मणी विधवा अपने शुचिव्रत नामक एक वर्ष के बालक को गोद में लिये उसी रास्ते से होकर निकली। बिना नाल कटे उस बच्चे को देखकर उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ। वह सोचने लगी कि यदि इस बच्चे को अपने घर ले जाऊँ तो लोग मुझपर अनेक प्रकारकी शंका करेंगे और यदि यहीं छोड़ देती हूँ तो कोई हिंस्र पशु भक्षण कर लेगा। वह इस प्रकार सोच ही रही थी कि उसी समय यती वेष में भगवान शंकर वहां प्रकट हुए और उस विधवा से कहने लगे-'इस बच्चे को तुम अपने घर ले जाओ, यह राजपुत्र है। अपने ही पुत्र के समान ही इसकी रक्षा करना और लोगों में इस बात को प्रकट न करना, इससे तुम्हारा भाग्योदय होगा।' इतना कहकर शिवजी अंतर्धान हो गये। ब्राह्मणी ने उस राजपुत्र का नाम धर्म गुप्त रखा।

वह विधवा दोनों को साथ लेकर उस बच्चे के माता-पिता को ढूंढने लगी। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते शांडिल्य ऋषि के आश्रम में पहुँची। ऋषि ने बताया कि 'यह राजा राजा का देहांत हो पूर्व जन्म में क्रोधवश प्रदोष व्रत को अधूरा छोड़ने के कारण ही उसकी ऐसी गति हुई है तथा रानी ने भी पूर्व जन्म में अपनी सपत्नी को मारा था, उसने इस जन्म में मंगर के रूप में इससे बदला लिया।'

ब्राह्मणी ने दोनों बच्चों को ऋषि के पैरों पर डाल दिया। ऋषि ने उन्हें शिव पंचाक्षरी मंत्र देकर प्रदोष व्रत करने का उपदेश दिया। इसके बाद उन्होंने ऋषि का आश्रम छोड़कर एकचक्रा नगरी में निवास किया और वहाँ वे चार महीने तक शिवाराधना करते रहे। दैवात् एक दिन शुचिव्रत को नदी के तट पर खेलते समय एक अशर्फियों से भरा स्वर्ण कलश मिला, उसे लेकर वह घर आया। माताको यह देखकर अत्यन्त ही आनन्द हुआ और इसमें उसने प्रदोष की महिमा देखी। 

इसके बाद एक दिन वे दोनों लड़के वन विहार के लिये एक साथ निकले, वहाँ अंशुमती नाम की एक गन्धर्व कन्या क्रीडा करती हुई उन्हें दीख पड़ी। उसने धर्मगुप्त से कहा कि 'मैं एक गन्धर्वराज की कन्या श्री शिव ने मेरे पिता से कहा है कि अपनी कन्या को सत्यरथ राजा के पुत्र धर्मगुप्तको प्रदान करना।' गन्धर्व कन्या की ‘यही धर्मगुप्त है' ऐसी जानकारी होने पर उसने विवाह का प्रस्ताव रखा।

धर्मगुप्त ने वापस आकर अपनी माता से यह बात कही। ब्राह्मणी ने इसे शिव पूजा का फल और शांडिल्य मुनि का आशीर्वाद समझा। बड़े ही आनंद से अंशुमती के साथ धर्मगुप्त का विवाह हो गया। गन्धर्वराज ने बहुत-सा धन और अनेकों दास-दासी उन्हें प्रदान किये। इसके पश्चात धर्मगुप्त ने अपने पिता के शत्रुओं पर आक्रमण कर विदर्भ-राज्य को प्राप्त किया। वह सदा प्रदोष-व्रत में शिवाराधना करते हुए उस ब्राह्मणी और उसके पुत्र शुचिव्रत के साथ जीवन पर्यन्त सुख से राज्य करता रहा और अंत में शिव लोक को प्राप्त हुआ।

(स्कन्द पुराण से)


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Food and Civil Supplies Department Uttar Pradesh Ration Card Application Form



Ration Card Application Form ( For Rural Areas )
राशन कार्ड आवेदन पत्र (ग्रामीण क्षेत्रों के लिए)



Ration Card Application Form ( For Urban Areas )
राशन कार्ड आवेदन पत्र (शहरी क्षेत्रों के लिए)

प्रवासी श्रमिकों हेतु राशन कार्ड आवेदन प्रपत्र
Ration card application form for migrant workers




Food and Civil Supplies Department Uttar Pradesh Ration Card Application Form
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग उत्तर प्रदेश राशन कार्ड आवेदन पत्र


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धर्म अधर्म के कुरुक्षेत्र में हे केशव दे हमें विवेक - संघ गीत



धर्म अधर्म के कुरुक्षेत्र में हे केशव दे हमें विवेक
हे युग सारथी हटा मिटा दे मन में धुंधवाता अविवेक ॥
Dharm Adharma Ke Kurukshetra Me
 
सच्चा दान वही जो सत्पात्रों को विनत दिया जाता
पर वह व्यर्थ अधर्म अधीन है जब कुपात्र होता दाता
देखो छिलका तिनका खाकर गौरस देती गौमाता
पर गौरस पी पीकर पन्नग जग को विष ही विष देता
दानव ही सच्चा जब दाता सांधे पात्रापात्र विवेक ॥ 1॥
 
कपटी घौरी के कुचक्र में पृथ्वीराज छले जाते
शकुनि जाल में फसने देखो धर्मराज खुद ही आते
भस्मासुर को भी वर देकर भोले खुद फिसले जाते
वह गोकुल क्या कुटिल पूतना पय से पूत पले जाते
सद्गुण बन जाता है दुर्गुण जब हो जाता गुण अतिरेक || 2 ॥
 
सर्वपंथ समभाव सही जब सबके मन में भाव यही
मेरा ही पथ सर्वश्रेष्ठ है अहंभाव है सही नहीं कौन है
कट्टर कौन सहिष्णु इतिहासों ने कथा लिखी अरी
अफजल पर वीर शिवा की युक्त नीति ही सफल रही
हिन्दू की है देन विश्व को सत्य एक है मार्ग अनेक ॥ 3 ॥


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आज हिमालय की चोटी से, ध्वज भगवा लहराएगा - संघ गीत



आज हिमालय की चोटी से, ध्वज भगवा लहराएगा ।
जाग उठा है हिन्दू फिर से, भारत स्वर्ग बनाएगा ॥ध्रु॥
 
इस झंडे की महिमा देखो, रंगत अजब निराली है ।
इस पर तो ईश्वर ने डाली सूर्योदय की लाली है ।
प्रखर अग्नि में इसकी पड़, शत्रु स्वाहा हो जाएगा ॥1॥
 
इस झंडे को चन्द्रगुप्त ने हिन्दू-कुश पर लहराया ।
मरहटों ने मुग़ल-तख़्त को चूर-चूर कर दिखलाया ।
मिट्टी में मिल जाएगा जो इसको अकड़ दिखाएगा ॥2॥
 
इस झंडे की खातिर देखो प्राण दिए रानी झांसी ।
हमको भी यह व्रत लेना है, सूली हो या हो फांसी ।
बच्चा-बच्चा वीर बनेगा, अपना रक्त बहाएगा ॥3॥




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